महाराष्ट्र में पहली बार निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS कोटा
महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए राज्य के सभी निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10% आरक्षण लागू कर दिया है। यह फैसला न सिर्फ राज्य के शिक्षा ढांचे में बड़ा बदलाव है, बल्कि भारत में अपनी तरह का पहला उदाहरण भी है।

EWS आरक्षण किसके लिए है?
EWS कोटा उन छात्रों के लिए है जो सामान्य वर्ग (General Category) से आते हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और वे किसी अन्य आरक्षण श्रेणी जैसे SC, ST या OBC में शामिल नहीं होते। यह व्यवस्था उन्हें उच्च शिक्षा में समान अवसर देने के उद्देश्य से की गई है I
EWS आरक्षण क्या है?
EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण एक विशेष प्रकार का आरक्षण है, जिसे भारत सरकार ने 103वें संविधान संशोधन (साल 2019) के तहत लागू किया। इसका उद्देश्य है सामान्य वर्ग (General Category) के उन छात्रों और नौकरी के इच्छुक लोगों को मदद देना, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और SC (अनुसूचित जाति), ST (अनुसूचित जनजाति), या OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) जैसे किसी भी आरक्षण श्रेणी में नहीं आते।
EWS आरक्षण उन्हीं लोगों को दिया जाता है जो:
1. General Category में आते हैं — यानी SC, ST या OBC नहीं हैं।
2. उनकी वार्षिक पारिवारिक आय ₹8 लाख से कम होनी चाहिए।
3. उनके पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि होनी चाहिए।
4. शहरी क्षेत्रों में उनके पास: 1000 वर्ग फुट से कम का मकान हो,या 100 गज से कम का प्लॉट (निगम/नगर पालिका क्षेत्र में), या 200 गज से कम का प्लॉट (गैर-नगर पालिका क्षेत्र में) हो।यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त सभी शर्तों को पूरा करता है, तो वह EWS प्रमाण पत्र (EWS Certificate) बनवाकर इसका लाभ ले सकता है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि EWS कोटा मौजूदा सीटों में से ही लागू किया जाएगा। यानी कुल सीटों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। इसका अर्थ यह है कि 10% सीटें अन्य श्रेणियों से पुनः वितरित करके EWS वर्ग के लिए आरक्षित की जाएंगी।
यह नियम राज्य के सभी मान्यता प्राप्त निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों पर लागू होगा। इसमें डोनेशन आधारित या मैनेजमेंट कोटे वाले संस्थानों को भी शामिल किया गया है, जिससे नीति की व्यापकता और प्रभावशीलता दोनों सुनिश्चित होती है।अब तक EWS आरक्षण केवल सरकारी मेडिकल कॉलेजों तक ही सीमित था। लेकिन अब महाराष्ट्र इस नीति को निजी संस्थानों तक विस्तारित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जिससे अन्य राज्यों को भी प्रेरणा मिल सकती है।
छात्र संगठनों और शिक्षा क्षेत्र के जानकारों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे वित्तीय रूप से कमजोर मेधावी छात्रों को मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने का एक बेहतर अवसर मिलेगा। हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने यह चिंता भी जताई है कि बिना सीटें बढ़ाए, अन्य वर्गों पर इसका दबाव पड़ सकता है।
महाराष्ट्र के 22 निजी मेडिकल कॉलेजों में कुल 3,120 MBBS सीटें हैं। इन सीटों में से 15% सीटें मैनेजमेंट कोटा के अंतर्गत आती हैं, जबकि शेष सीटें सामान्य, SC (अनुसूचित जाति), ST (अनुसूचित जनजाति), OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) जैसे विभिन्न वर्गों में विभाजित की जाती हैं।
क्या हुआ बदलाव?
अब सरकार ने इन निजी कॉलेजों में EWS वर्ग के लिए 10% आरक्षण लागू कर दिया है। हालांकि यह कुल सीटों में बढ़ोतरी किए बिना लागू किया गया है, यानी यह आरक्षण मौजूदा सीटों के पुनर्वितरण के जरिए दिया जाएगा। इसका अर्थ है कि कुछ अन्य वर्गों की सीटों को घटाकर EWS कोटा समायोजित किया गया है।
क्या हो सकती हैं समस्याएं पढ़े शिक्षण क्षेत्रों के विशेषज्ञों और आरक्षण नीति के आलोचकों का मानना है कि इस कदम से कई संवेदनशील समस्याएं खड़ी हो सकती हैं: अन्य आरक्षित वर्गों की सीटें घट सकती हैं, जिससे असंतोष फैल सकता है।विरोध, याचिकाएं और कानूनी चुनौतियों की संभावना बन सकती है।जब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में EWS कोटा लागू किया गया था, तो सीटों में 25% की वृद्धि की गई थी ताकि सभी वर्गों को नुकसान न हो। लेकिन इस बार ऐसा कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
Leave a Reply