मुहूर्त क्यों है महत्वपूर्ण क्यूंकि रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त (auspicious timing) का विज्ञान और पौराणिक महत्व गहरा है। गलत समय पर राखी बाँधने से शुभ फल न मिलने का भय माना जाता है— इसलिए इसे ब्रह्ममुहूर्त, अपहरणा काल, या प्रादोष काल जैसे समय में किया जाता है।

भद्रा काल को अशुभ समय माना जाता है, खासकर पूर्णिमा तिथि के पहले दिन के पहले भाग में। धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट निर्देश हैं कि इस दौरान राखी बाँधने जैसे शुभ कार्यों से बचना चाहिए ।
इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जा रहा है। शुभ समय निम्न है: दिनांक 9 अगस्त 2025 शुभ मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक भद्रा काल समाप्त होने के कारण, रात्रि और सुबह का समय दोनों उपयोगी है ।
पौराणिक मिथकों में मुहूर्त का संदर्भ जातीय कथाओं में बताया गया है जैसे कि इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी द्वारा रक्षासूत्र बाँधना, या द्रौपदी द्वारा कृष्ण की रक्षा का अनुरोध—से स्पष्ट होता है कि इस त्योहार की नींव सुरक्षा और समय की पवित्रता पर आधारित है ।
आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश मुहूर्त का पालन केवल एक आस्था नहीं, बल्कि यह रिश्तों में सम्मान, कर्तव्य और सामूहिकता का प्रतीक है। सही समय पर की गई रस्में बल, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा को बुलाकर भैया–बहन के बंधन को और मजबूत बनाती हैं ।
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