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Pharmacy college में फर्जीवाड़ा,महाराष्ट्र के 150 कॉलेजों पर गिरा गाज, प्रवेश प्रक्रिया पर लगी रोक!

महाराष्ट्र में फार्मेसी शिक्षा को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिससे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। राज्य के करीब 150 फार्मेसी कॉलेज आवश्यक नियमों और शैक्षणिक मानदंडों का पालन नहीं कर रहे थे, जिस कारण इन कॉलेजों की पहली वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है।
महाराष्ट्र में बीते तीन वर्षों में फार्मेसी कॉलेजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली है। अब इन कॉलेजों की जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और इसमें जो तथ्य सामने आए हैं, वे शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।

हाल ही में पूरी हुई इस जांच में राज्यभर के लगभग 150 फार्मेसी कॉलेज ऐसे पाए गए हैं जो Pharmacy Council of India (PCI) द्वारा निर्धारित आवश्यक शैक्षणिक और इंफ्रास्ट्रक्चर मानकों को पूरा नहीं करते। हैरानी की बात यह है कि इतनी कमियों के बावजूद PCI ने इन सभी संस्थानों को मंजूरी दे दी थी, जिससे अब PCI की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

इन 150 संस्थानों में से:128 संस्थाएं डिप्लोमा या D. Pharm कोर्स संचालित करती हैं,जबकि 22 संस्थाएं डिग्री यानी B. Pharm पाठ्यक्रम चला रही हैं।

अब इन सभी संस्थानों की पहले वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, अगले सात दिनों के भीतर इन संस्थानों को “कारण बताओ” नोटिस (Show Cause Notice) जारी की जाएगी, जिसमें उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि क्यों उनकी मान्यता को रद्द नहीं किया जाए।

कोरोना काल के दौरान महाराष्ट्र में फार्मेसी कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई थी। इसी का फायदा उठाकर कई नई संस्थाओं ने Pharmacy Council of India (PCI) से मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन भेजे। पिछले तीन वर्षों में PCI ने डिप्लोमा कोर्स (D.Pharm) के लिए 220 नए कॉलेजों और डिग्री कोर्स (B.Pharm) के लिए 92 कॉलेजों को अनुमति दे दी।

हालाँकि इन कॉलेजों में एडमिशन की संख्या घट रही थी, फिर भी PCI हर साल नई संस्थाओं को मंजूरी देता रहा। इसीलिए उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने राज्य के तकनीकी शिक्षा संचालनालय और तकनीकी शिक्षा मंडल के माध्यम से इन संस्थाओं की एक व्यापक जांच (inspection) करवाई।

Pharmacy Council of India (PCI) द्वारा बी. फार्म (पदवी) पाठ्यक्रम के लिए मंजूरी प्राप्त 92 नई संस्थाओं में से 22 कॉलेज ऐसे पाए गए हैं, जो PCI के मानकों को पूरा नहीं करते। इस सूची में मुंबई विभाग की स्थिति सबसे चिंताजनक है।

मुंबई क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में 14 नई फार्मेसी संस्थाओं को मान्यता दी गई थी, जिनमें से 9 संस्थाएं मानकों के उल्लंघन में पाई गई हैं। दूसरी ओर, पुणे और अमरावती क्षेत्र की सभी संस्थाएं जांच में सही पाई गईं।

हालांकि, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह आंकड़ा पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं हो सकता। कई संस्थाएं कागज़ी तौर पर सब कुछ ठीक दिखाने की कोशिश करती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और होती है। इसलिए इन आंकड़ों की पुन: समीक्षा और विस्तृत सत्यापन की आवश्यकता है।

राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि इन सभी 150 अपात्र फार्मेसी संस्थाओं में प्रथम वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से रोक दिया जाएगा। इसके साथ ही, आगामी 7 दिनों के भीतर इन सभी संस्थानों को “कारण बताओ नोटिस” (Show Cause Notice) भेजा जाएगा।

यह नोटिस न केवल तंत्रशिक्षण संचालनालय (Directorate of Technical Education) की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएगी, बल्कि प्रत्येक संबंधित संस्था की वेबसाइट पर भी सार्वजनिक रूप से अपलोड की जाएगी, ताकि छात्र और अभिभावक जानकारी ले सकें।

इन संस्थाओं को PCI (Pharmacy Council of India) के निर्धारित शैक्षणिक और बुनियादी ढांचे संबंधी मानकों को पूरा करने के लिए 30 दिनों का समय दिया जाएगा। यदि इस अवधि के भीतर संस्थान इन मानकों की पूर्ति नहीं कर पाते, तो:संबंधित विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर इन संस्थाओं की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की जाएगी।साथ ही PCI को पत्र भेजकर इन संस्थानों की मान्यता रद्द करने की औपचारिक अनुशंसा की जाएगी।

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