केदारनाथ धाम के 8 रहस्य हैं, जिनमें मंदिर का 6 महीने बंद रहना, दीपक का जलते रहना, और पांडवों से जुड़ी कथाएं शामिल हैं. यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे पंच केदार में से एक माना जाता है.

 6 महीने का कपाट बंद रहना:केदारनाथ मंदिर हर साल 6 महीने के लिए बंद रहता है, और इस दौरान मंदिर के अंदर एक दीपक जलता रहता है.

केदारनाथ धाम भारत की धार्मिक परंपराओं में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उत्तराखंड के पहाड़ों में 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

केदारनाथ में घोड़े का किराया, गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक के लिए, 2,300 रुपये से 2,500 रुपये तक है. यह किराया एक तरफ़ा यात्रा के लिए है, और कुछ स्थानों पर 2,250 रुपये भी लिया जा रहा है, जिसमें जीएसटी भी शामिल है

दीपक का जलते रहना:जब मंदिर 6 महीने बाद खुलता है, तो दीपक उसी तरह जलता हुआ पाया जाता है, जैसे कि वह बंद होने से पहले था.

केदारनाथ तक 16 किलोमीटर की यात्रा की चुनौतियों को समझते हुए, तीर्थयात्रा को और अधिक सुलभ बनाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं शुरू की गई हैं। फाटा, गुप्तकाशी और सिरसी जैसे स्थानों पर आस-पास के हेलीपैड से संचालित होने वाली ये सेवाएँ भक्तों को अपनी यात्रा जल्दी और आराम से पूरी करने में मदद करती हैं।

केदारनाथ मंदिर में मंत्रों का उच्चारण कन्नड़ भाषा में किया जाता है

केदारनाथ मंदिर की ऊंचाई 85 फीट है। इसकी लंबाई 187 फीट और चौड़ाई 80 फीट है। केदारनाथ मंदिर की दीवारें 12 फीट मोटी हैं और बेहद मजबूत पत्थरों से बनी हैं

केदारनाथ मंदिर 400 साल से अधिक समय तक बर्फ से ढका रहा। उसके बाद मंदिर को पुनर्जीवित किया गयाt